takiya

हम दोनों के बीच
पड़ा हुआ
ये कत्थई रंग का
नरम, लंबा, सुडौल तकिया
पता नहीं कब
हमारे बाँझ रिश्ते के कोरे कोख की
दीवालिये शुन्यता से निकलकर
हमारी खोखली सल्तनतों को बाणतने लगा -
एक ही चादर ओढे दो जिस्मों के
अहंकारों के
लाचारियों के
वक्तव्यों के
बेजुबानियों के
बीचों-बीच
२४/७/०९




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