tum
तुम जो मेरे साथ होते
तो कल, मेरी बंद आखों सी काली इस रात में,
सप्तर्षि मंडल को हम साथ साथ फिर से पहचान रहे होते |
तुम जो मेरे साथ होगे
तो कल, छंदित शब्दों की सूरध्वनि,
कविताओं की पंक्तियों से अनायास नजदीकियों में बदल जाएगी |
तुम, जो मेरे साथ हो,
तो आज, तुम्हारी सच में सनी बचकानी बातें
ऑर मेरे लिए मचली सैकड़ों अभिलाषाएं
अरबों मूक शिकायतें
हर रोज़ मुझे उकता देने वाली
दर्ज़नों छोटी-मोटी, देहाती आदतें,
आज,
तुम, जो शायद मेरे पीछे परेशां होने वाली
एकलौते इंसान हो,
आज
उस तुमसे
मन ही मन निजात पाने की
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी, बेशर्म ............
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