aaj, nahin to parso

बस , कुछ दिनों की बात है

उसके बाद, मोबाइल के परदे पर तुम्हारा नाम
एक बार देखने के लिए
मैं कई बार , किसी न किसी बहाने
उसे बाहर निकालूँगा
कुछ देर अनंत प्रतीक्षा के बाद
फिर सामने वाले इंसान से यूँ विचारों की गहराई में डूब जाऊँगा
मानो मृत्यु के सच को ज़िन्दगी बनाकर जीता
इंसान, जिसकी आयु अब महीनों, दिनों में |

ऑर मेरा नाम तुम्हारे मोबाइल के परदे पर
अगर भूले-भटके
तो चेहरे की पेशीयाँ तुम्हारी
तन जाएंगी यकायक
ऑर जो लोग बस, थोडा सा पहचानते हैं
देखेंगे, तुम्हारी हंसी की आवाज़ ऊंची,
काफी चालू, सड़कछाप

बस, कुछ ऑर दिनों की बात है,
ज़िन्दगी फिर ट्रैफिक में फँसी ,
सामने वाली गाडी की
चलते रहने के इंतज़ार में ............

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